रोमांटिक कहानी 🧡 तुमसे ही, हमेशा *अध्याय 1: पहली मुलाकात

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अध्याय 1: पहली मुलाकात

कहानी की शुरुआत:

प्रिया एक छोटे शहर की लड़की थी, जिसकी दुनिया सिर्फ उसके परिवार और कॉलेज तक ही सीमित थी। उसकी ज़िंदगी में रोमांस जैसी कोई चीज़ नहीं थी, और ना ही वो किसी लड़के के बारे में सोचने के लिए तैयार थी। वह अपने सपनों और पढ़ाई में इतनी व्यस्त थी कि उसे रिश्तों की परवाह नहीं थी। मगर एक दिन उसका सामना हुआ, जय से।

जय, एक युवा और ऊर्जावान लड़का, जो दिल्ली में एक नामी कंपनी में काम करता था, अपने परिवार के साथ छुट्टियों पर आया था। उसे अपने काम और पर्सनल लाइफ में संतुलन बनाने की कोशिशें करते हुए हमेशा कुछ कमी महसूस होती थी। उसका दिल कभी सुकून में नहीं रहता। और फिर एक दिन, जब वह अपने चचेरे भाई की शादी में भाग लेने अपने पुराने शहर वापस आया, तो उसे अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा मोड़ मिला।


संयोग से मुलाकात:

यह शादी का अवसर था, और प्रिया भी अपनी छोटी बहन के साथ दुल्हन बनने की खुशी में शामिल थी। जय और प्रिया की पहली मुलाकात हुई, जब दोनों शादी के मंच पर अलग-अलग दिशाओं से चल रहे थे और अनजाने में एक-दूसरे से टकरा गए। प्रिया थोड़ी चिढ़ी, क्योंकि जय ने उसके हाथ में रखा शर्बत का गिलास गुस्से में गिरा दिया था।

“सॉरी,” जय ने झुका हुआ, थोड़ा लज्जित होकर कहा।

“क्या सॉरी! देखिए, शर्बत गिरी है।” प्रिया ने धीरे से कहा, थोड़ा नाराज़ होते हुए।

लेकिन जय ने अपनी हंसी छुपाने की कोशिश करते हुए जवाब दिया, “गलती मेरी थी, तो इस गिलास की भराई मैं करता हूँ। एक और लाओ, प्लीज़।”

प्रिया ने जय की ओर देखा। उसकी आँखों में कुछ खास था— एक आत्मविश्वास, एक विनम्रता, और एक गहरी समझ की झलक, जो प्रिया को महसूस हुई। क्या यह सिर्फ एक संयोग था, या कुछ और?

संस्कारों की हल्की छाया:

शादी के बाद, जय और प्रिया फिर से मिले, लेकिन इस बार एक परिवारिक रात्रि भोज में। जय के माता-पिता और प्रिया के माता-पिता अच्छे दोस्त थे। बातचीत शुरू हुई और धीरे-धीरे दोनों के बीच हल्का सा आकर्षण पनपने लगा, लेकिन कुछ बातों ने दोनों को एक दूसरे से दूर भी किया।

जय को यह बात खटक रही थी कि प्रिया बहुत हिचकिचा रही थी, मानो वह रिश्ते में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रही थी। वहीं, प्रिया को यह सब थोड़ा अजीब लग रहा था। क्या यह लड़का सिर्फ एक और बेवकूफ था जो किसी लड़की से फ्लर्ट करने के लिए उत्सुक था?

चर्चा और क्यूज़ी बहस:

एक दिन प्रिया ने जय से सीधे तौर पर पूछा, “आप दिल से क्या चाहते हैं? किसी लड़की को अच्छे से समझ पाना या फिर सिर्फ फ्लर्ट करना?”

जय चुप था, और फिर उसने कहा, “मुझे समझने का वक्त चाहिए, प्रिया। रिश्ते के बारे में मैं बहुत सोचता हूँ, लेकिन डरता हूँ, क्योंकि समाज में तो हमेशा एक ढांचा होता है, ना? प्यार के आगे कुछ समझना मुश्किल हो जाता है।”

यह सुनकर प्रिया थोड़ी चौंकी, लेकिन उसकी आँखों में एक नई सच्चाई दिखाई दी। जय का रुख धीरे-धीरे उसके लिए दिलचस्प होने लगा था, लेकिन वह खुद को पूरी तरह से खुलकर उसकी तरफ नहीं देना चाहती थी। क्या वह डरती थी? या फिर समाज और परिवार के दबाव में फंसी थी?


तुमसे ही, हमेशा 💓अगले अध्याय में:

प्रिया और जय की मुलाकातें बढ़ने लगती हैं, लेकिन हर बार कुछ न कुछ ऐसा होता है जो उनके बीच दूरियां बना देता है। क्या यह दूरी कभी खत्म होगी? क्या दोनों अपनी भावनाओं को एक-दूसरे के सामने लाएंगे?

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